जीविका सेवा संस्थान ?
हर जीव की जीविका के लिए समर्पित
जीवन का एक सही मूल्यांकन, सही विश्लेषण और सही मार्गदर्शन आपके जीवन की दशा और दिशा बदलकर, उसे बहुमूल्य, सार्थक और सफल बना सकता है

आज मानव जाति ने अपने आप को सिर्फ और सिर्फ रोटी कपड़ा और मकान को अर्जित करना और अपने अनुसार उसे सुचारू रूप से चलाने को ही अपने जीवन का उद्देश्य समझ लिया है और वह सिर्फ इतने तक ही नहीं रुका बल्कि एक दूसरे से बेहतर से बेहतर बनाने की दौड़ में शामिल गया है जबकि वास्तविकता यह है कि मनुष्य जीवन की परिभाषा यह नहीं है।
मनुष्य आपसी प्यार, भाव, समर्पण, दया, परोपकार, सेवाभाव एवं अपने कर्तव्यों को भी भूल बैठा है। वेद ,शास्त्र, पुराणों के ज्ञान को तो छोड़ ही दीजिए अपने अंदर बैठी हुई उस आत्मा के आधार अर्थात अध्यात्म को जानना तो दूर पहचानता भी नहीं है। यह सब एक उस सोने के हिरन की तरह ही है जो इतना सुंदर दिव्य रूप पाने के बाबजूद भी वनों में घास चरता हुआ फिरता रहता है। यह सब एक अज्ञानता के अंधेरे के कारण ही ऐसा हो रहा है। मानव समाज की कुरीतियों, अज्ञानता एवं अंधकारमय भविष्य को देखते हुए मानव जाति में पाए जाने वाले विकारों और नशामग्न जीवन को मुक्ति दिलाने के लिए गुरुदेव ने अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया है जिससे मनुष्य अपने भटकाव भरे जीवन के वास्तविक रूप, कर्म और जीवात्मा को पहचान सके। जीवन के उद्देश्य को समझ सके। जीवन जीने की कला,जीवन को सुंदर,सफल और सरल बनाने का अद्भुत तरीका सीख सके। जन्म और जीवन के महत्व को समझ सके। आपसी प्यार, भाव,समर्पण, दया,परोपकार,सेवाभाव एवं अपने कर्तव्यों को भलीभांति समझ सके। आत्मा की आवाज को सुनकर अपने अंदर आध्यात्म को जगा सके उसे जान सके। अंधकार से प्रकाश, अज्ञानता से ज्ञान, असफलता से सफलता, दुखों से सुख और मन संताप से शांति की प्राप्त कर सके । गुरुदेव की मनन,मंथन और चिंतन शक्तियों द्वारा उनके सानिध्य में एक सही दिशा और मार्ग दर्शन से निरर्थक जीवन को मूल्यवान बनाया जा सकता है जिससे मनुष्य अपनी आत्मा को पहचान कर अध्यात्म को प्राप्त करके जीवन को अपूर्णता से पूर्णता और पूर्णता से संपूर्णता की ओर ले जा सकता है जनकल्याण एवं समाज और अपनी अगली पीढ़ी के लिए भी अच्छे संस्कारों और प्रेरणाओं को देकर जा सके। काल्पनिक जीवन को वास्तविक जीवन की ओर अग्रसर कर सके और इस मृत्युलोक से मोक्ष की प्राप्ति कर सके।